वैश्वीकरण राष्ट्र प्रेम एवं स्वदेश की भावना को आघात पहुँचा रहा है। लोग विदेशी वस्तुओं का उपभोग करना शान समझते है एवं देशी वस्तुओं को घटिया एवं तिरस्कार योग समझते हैं। हे अंजनन्दन, वीर, जानकी के दुःख का नाश करने वाले! हे कपीश, अक्षहंता, लंका का भय दूर करने वाली! https://explorebookmarks.com/story18927947/fascination-about-%E0%A4%AB-%E0%A4%9F-%E0%A4%B8-%E0%A4%B5%E0%A4%B6-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3-photo-se-vashikaran